वह इसलिए लङकियो से दुर रहता है।।।।।
                 वह इसलिए लङकियो से दुर रहता है ।
एक बार की बात है एक लड़का जिसका नाम श्रीनु था एक high school का छात्र था वह दिखने मे अच्छा था वह जिस कक्षा मे पढता था वहा लङको से ज्यादा लड़किया पढती थी । अब लड़किया थी तो उसने काम भी पड़ता था पर अब भी श्रीनु किसी लड़की से बात तो दुर की बात वहा उनकी तरफ देखता भी नही था।उस कक्षा मे एक दिन एक नई लड़की आई वह बहुत ही फ्रेंडली सबसे बाते कर रही थी तो उसने देखा कि जहा पर सभी लड़के आपस मे बाते करते रहते थे वहा पर एक लड़का ऐसा था जिसे कोई भी ना तो बात करता है और न ही खेलता है वह जैसे पुरी कक्षा मे अकेला ही हो वह चाहे जो भी करता पर किसी से कोई लेना-देना नही रखता था ।पहले तो उसे यह श्रीनु का attitude लगा पर उसने देखा कि श्रीनु के पास जब कोई लङका कुछ काम की बात करता तो वह उससे नम्र तरीके से बात करता था और वह बस सबसे दुर रहता था उसके पास कोई भी लङकी को कोई काम होता था तो वे भी दुसरे लङको से कहती थी ।ऐसा नहि था कि अगर कोई लङकी कुछ मदद करने के लिए कहेगी तो वह उसे मना कर देगा ।बस वह लङकियो से जितना हो सके उतना ही ज्यादा दुर रहता था वह लड़की जो नई आई थी उसका नाम मोनिका था वह श्रीनु के पास गई तब श्रीनु कुछ पढ रहा था वह बोली श्रीनु मुझे तुम्हारी science की कोपी चाहिए है मुझे कल का काम पुरा करना है श्रीनु ने कोपी देते हुए कहा कोपी स्कुल खत्म होने से पहले दे देना ।।मोनिका ने कोपी ले ली और वह अपने ने बेंच पर चली गई उसे कुछ भी काम नही था इसलिए वह बस पन्ने पलट रहि थी उसने देखा कि श्रीनु की कोपी थोड़ी अलग थी उसका सारा काम पुरा था उसकी लिखी हुई लाईने जैसे किसी ने गुस्से से लिखा हो सामान्य बच्चे लगभग एक ही जैसे लिखते थे पर श्रीनु अपने अपने लिखे गए शब्दो को कविता की तरह एक बङी तो दुसरी थोड़ी छोटी करके लिखता था वह एक ही रंग के अलग अलग तरह के पैन से लिखा करता था और जो पेज चैक हो जाता था वह उसके उपर अजीब सी आकृति बना देता था जिसका कोई मतलब नही होता था ।अब मोनिका ने कोपी वापस कर दी और श्रीनु को थैंक्यू कहा श्रीनु ने कोई जवाब नही दिया और कोपी बैग मे रख दी ।और वह अपने बैंच पर जाकर बैठ गई।
मोनिका एक मनोचिकित्सक (cikitries)की बेटी थी ईसलिए वह भी अपने पिता की तरह ही बनना चाहती थी ईसलिए वह श्रीनु को पढने और समझने की कोशिश कर रही थी और वह सफल भी हो रही थी ।।
अब मोनिका ने एक दिन जब सब लङके और लङकिया बैठकर बात कर रहे थे तो पुछा की श्रीनु ऐसा क्यो है?
इस पर लङकिया कुछ भी नहि बोली और वहा से चली गई ।मोनिका को यह देखकर अजीब लगा ।तो उसने अपनी बात को फिर दोहराया पर अब भी कोई कुछ भी नहि बोल रहा था ।अब मोनिका की दिलचस्पी और बढ गई ।वह अकेले मे उस लड़के से यह बात पूछती है जो उससे थोड़ी बहुत बात कर लिया करता था ।वह मोनिका के बहुत पूछने पर बताता है कि पहले श्रीनु ऐसा नहि था वह भी हमारे ही तरह सब से बात करता था एक दिन जब वे सब खेल रहे थे तो श्रीनु थोड़ा ज्यादा चंचल हो गया और वह दुसरे बच्चो के गाल खिंचने का खेल खेलने लगा तो वह बिना किसी भेदभाव के लङके और लङकियो दोनो के ही गाल खिंचने लगा उसे पता ही नही चला कि वह कब खेल खेल मे दुसरो को दुख पहुंचाने लगा ।एक लड़की ने श्रीनु की शिकायत अध्यापक से कर दी ।अध्यापक ने श्रीनु को ज्यादा मारा तो नही पर उसे इस तरह समझाया कि लङको और लङकियो मे फर्क करने लगा अब उसे लङकियो से भरोसा उठ गया ।लङकिया जब श्रीनु को सजा मिल रही थी उसके ऊपर हंस रही थी एक लड़की ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा "अब आया मजा "।जब लङकियो ने श्रीनु की शिकायत की थी तो लङको ने भी उनका ही साथ दिया था ईसलिए वह अब अकेला रहने लगा ।बाकी सब ने तो इस बात को ध्यान नही दिया पर अब श्रीनु के मन मे लङको और लङकियो से भरोसा उठ गया ।इसलिए वह अब किसी भी काम मे किसी से कोई भी मदद की आशा नही रखता ।वह अब अपना पुरा ध्यान सिर्फ अपने काम पर लगता है।
यह सब सुनकर मोनिका बोली तो तुम उससे बात कैसे कर लेते हो ? वह लङका बोला मै उस दिन स्कुल नही आया था ।
यह सुनकर मोनिका बोली :ईसलिए वह लङकियो से दुर रहता है ।।।।।।।।।।।।
Writer
Rohit narwal
एक बार की बात है एक लड़का जिसका नाम श्रीनु था एक high school का छात्र था वह दिखने मे अच्छा था वह जिस कक्षा मे पढता था वहा लङको से ज्यादा लड़किया पढती थी । अब लड़किया थी तो उसने काम भी पड़ता था पर अब भी श्रीनु किसी लड़की से बात तो दुर की बात वहा उनकी तरफ देखता भी नही था।उस कक्षा मे एक दिन एक नई लड़की आई वह बहुत ही फ्रेंडली सबसे बाते कर रही थी तो उसने देखा कि जहा पर सभी लड़के आपस मे बाते करते रहते थे वहा पर एक लड़का ऐसा था जिसे कोई भी ना तो बात करता है और न ही खेलता है वह जैसे पुरी कक्षा मे अकेला ही हो वह चाहे जो भी करता पर किसी से कोई लेना-देना नही रखता था ।पहले तो उसे यह श्रीनु का attitude लगा पर उसने देखा कि श्रीनु के पास जब कोई लङका कुछ काम की बात करता तो वह उससे नम्र तरीके से बात करता था और वह बस सबसे दुर रहता था उसके पास कोई भी लङकी को कोई काम होता था तो वे भी दुसरे लङको से कहती थी ।ऐसा नहि था कि अगर कोई लङकी कुछ मदद करने के लिए कहेगी तो वह उसे मना कर देगा ।बस वह लङकियो से जितना हो सके उतना ही ज्यादा दुर रहता था वह लड़की जो नई आई थी उसका नाम मोनिका था वह श्रीनु के पास गई तब श्रीनु कुछ पढ रहा था वह बोली श्रीनु मुझे तुम्हारी science की कोपी चाहिए है मुझे कल का काम पुरा करना है श्रीनु ने कोपी देते हुए कहा कोपी स्कुल खत्म होने से पहले दे देना ।।मोनिका ने कोपी ले ली और वह अपने ने बेंच पर चली गई उसे कुछ भी काम नही था इसलिए वह बस पन्ने पलट रहि थी उसने देखा कि श्रीनु की कोपी थोड़ी अलग थी उसका सारा काम पुरा था उसकी लिखी हुई लाईने जैसे किसी ने गुस्से से लिखा हो सामान्य बच्चे लगभग एक ही जैसे लिखते थे पर श्रीनु अपने अपने लिखे गए शब्दो को कविता की तरह एक बङी तो दुसरी थोड़ी छोटी करके लिखता था वह एक ही रंग के अलग अलग तरह के पैन से लिखा करता था और जो पेज चैक हो जाता था वह उसके उपर अजीब सी आकृति बना देता था जिसका कोई मतलब नही होता था ।अब मोनिका ने कोपी वापस कर दी और श्रीनु को थैंक्यू कहा श्रीनु ने कोई जवाब नही दिया और कोपी बैग मे रख दी ।और वह अपने बैंच पर जाकर बैठ गई।
मोनिका एक मनोचिकित्सक (cikitries)की बेटी थी ईसलिए वह भी अपने पिता की तरह ही बनना चाहती थी ईसलिए वह श्रीनु को पढने और समझने की कोशिश कर रही थी और वह सफल भी हो रही थी ।।
अब मोनिका ने एक दिन जब सब लङके और लङकिया बैठकर बात कर रहे थे तो पुछा की श्रीनु ऐसा क्यो है?
इस पर लङकिया कुछ भी नहि बोली और वहा से चली गई ।मोनिका को यह देखकर अजीब लगा ।तो उसने अपनी बात को फिर दोहराया पर अब भी कोई कुछ भी नहि बोल रहा था ।अब मोनिका की दिलचस्पी और बढ गई ।वह अकेले मे उस लड़के से यह बात पूछती है जो उससे थोड़ी बहुत बात कर लिया करता था ।वह मोनिका के बहुत पूछने पर बताता है कि पहले श्रीनु ऐसा नहि था वह भी हमारे ही तरह सब से बात करता था एक दिन जब वे सब खेल रहे थे तो श्रीनु थोड़ा ज्यादा चंचल हो गया और वह दुसरे बच्चो के गाल खिंचने का खेल खेलने लगा तो वह बिना किसी भेदभाव के लङके और लङकियो दोनो के ही गाल खिंचने लगा उसे पता ही नही चला कि वह कब खेल खेल मे दुसरो को दुख पहुंचाने लगा ।एक लड़की ने श्रीनु की शिकायत अध्यापक से कर दी ।अध्यापक ने श्रीनु को ज्यादा मारा तो नही पर उसे इस तरह समझाया कि लङको और लङकियो मे फर्क करने लगा अब उसे लङकियो से भरोसा उठ गया ।लङकिया जब श्रीनु को सजा मिल रही थी उसके ऊपर हंस रही थी एक लड़की ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा "अब आया मजा "।जब लङकियो ने श्रीनु की शिकायत की थी तो लङको ने भी उनका ही साथ दिया था ईसलिए वह अब अकेला रहने लगा ।बाकी सब ने तो इस बात को ध्यान नही दिया पर अब श्रीनु के मन मे लङको और लङकियो से भरोसा उठ गया ।इसलिए वह अब किसी भी काम मे किसी से कोई भी मदद की आशा नही रखता ।वह अब अपना पुरा ध्यान सिर्फ अपने काम पर लगता है।
यह सब सुनकर मोनिका बोली तो तुम उससे बात कैसे कर लेते हो ? वह लङका बोला मै उस दिन स्कुल नही आया था ।
यह सुनकर मोनिका बोली :ईसलिए वह लङकियो से दुर रहता है ।।।।।।।।।।।।
Writer
Rohit narwal


Very good
ReplyDelete